मेरे हमदम, मेरे हमसफ़र खास हो तुम।
मरुधर पानी को तरसे, वो प्यास हो तुम।
मैं कह नहीं सकता, सजाकर लफ़्ज़ों में।
जो दिल को भाए, वो अहसास हो तुम।
✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
हैं एक सांवली-बावली सी लड़की, जो मेरे साथ सफ़र करती है कोन हूं, कैसा हूं, मालूम नहीं, फिर भी ना कोई सवाल करती है। सोते-जागते, ...
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