आज ठहर जाओ तो अच्छा है।।
कुछ बातें जो करनी हैं तुमसे।
ज़रा बैठो पास मेरे तो अच्छा है।।
कुछ बातें जो अक्सर भुल जाते हों।।
लबों से बयां भी कर दो तो अच्छा है।।
बातों ही बातों में रूठती बहुत हूं मैं।
अब थोड़ा मना भी लो तो अच्छा है।।
तुम्हारा घर छोटा, मिट्टी का आंगन हैं।
आंगन की तुलसी बना लो तो अच्छा है।।
मुझको परवाह नहीं है ज़माने भर की।
बस तुम्हारा साथ मिलें तो अच्छा है।।
तुम्हारे सफ़र में साथ चलुंगी हर पल।
अब थाम लो दामन मेरा तो अच्छा है।।
स्वरचित मौलिक रचना
✒️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
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