Sunday, November 13, 2022
सफ़र.... इश्क़ की डगर
Tuesday, November 1, 2022
सफ़र...... सर्द सुबह 💕
Wednesday, October 26, 2022
त्यौंहार ओर आपसी प्रेम.....!!💕💕
Monday, October 17, 2022
स्त्रियां
Friday, October 14, 2022
बातें सफ़र की..........!
Thursday, October 13, 2022
एक सफ़र ऐसा हो..........!
Wednesday, September 28, 2022
कर्मफल-अच्छे कर्मों का
Tuesday, September 27, 2022
अन्तर्मन.............!
Wednesday, September 14, 2022
मेरी तन्हाईयां............... .।
Wednesday, August 17, 2022
किस्से सफर के..................!
एक गांव उसकी नुक्कड़ वाली गली पर नज़रे अब भी ठहर जाती है।
न जाने फिर कब आएगी एक हाथ को हिलाकर बस को रुकवाकर।
आकर बैठ जाएगी उस सीट पर जो अक्सर खाली छोड़ देता हू।
आती है तो लाती है साथ अपने एक प्यारी सी मुस्कान।
बिखेर देती है मुझ पर ना कोई रिश्ता नाता।
मगर कुछ तो था अपनापन सा जो खींच लेता था मुझको।
बहुत दिन हो गए है उसको सफर मे आए मगर आज अचानक।
ठहर गई नज़र वही जहा ठहर गई बस धीरे से चढ़कर।
खामोशी पहनकर आकर खड़ी हो गई आज कोई सीट खाली नही थी।
नज़रे उसकी अब भी भटक रही थी। शायद किसी को ढूंढ रही थी।
जो नही आया चित्र कोई आंखो के सामने।
लगाकर कानो मे एयरफोन गानो के साथ गुनगुनाने लगी।
नज़रे खिड़की से बाहर कही ठहरी हुई थी।
बस अपनी गति वेग से चल रही थी ।
धीरे-धीरे बस मे खडी भीड़ कम हो रही थी।
फिर से नज़रे उठी अब कही जाकर ठहर गई थी।
मिली नज़रे तो हल्की सी मुस्कान के साथ झुक गई धी।
वो नज़रे फिर मिल रही थी जो न जाने कब से दूर थी।
जो कहना चाह रही थी अपने दिल की मगर कुछ कह न पाई।
आज फिर मिल रही थी जो कुछ कहने को आतुर है।
समझ सकते अपनी मुस्कान ओर लबो पर आकर रूके हुए अहसास को।
ये संवरती हुई जिन्दगी न जाने कब तक हमको एसे ही मिलाती रहेगी।
उसी बस मे उसी सीट आने वाले हर दिन को ।
ना कोई रिश्ता नाता है ना कोई जान पहचान ।
है तो बस इतना सा एक प्यारी सी नजर।
एक प्यारी सी मुस्कान।
सांवली बावली सी लड़की...........!!!!
हैं एक सांवली-बावली सी लड़की, जो मेरे साथ सफ़र करती है कोन हूं, कैसा हूं, मालूम नहीं, फिर भी ना कोई सवाल करती है। सोते-जागते, ...

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चिताएं जलती है न केवल, श्मशान घाट की गोदी में। न जाने कितनी चिताएं जलती होगी। हमारे भीतर भी, हमारे अंतर्मन में भी। उन चिताओं की तपिश को, मह...
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एक खुबसूरत सफ़र है। सर्द सुबह, ठंडी हवाएं। खिड़की के पास, मेरी एक सीट, जहां बैठता हूं। सफ़र तो सफ़र है। जाने पहचाने। कुछ अनजाने...
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रोज मिलकर चले जाते हों। आज ठहर जाओ तो अच्छा है।। कुछ बातें जो करनी हैं तुमसे। ज़रा बैठो पास मेरे तो अच्छा है।। कुछ बातें जो अक्सर भुल जाते ह...