Sunday, November 13, 2022

सफ़र.... इश्क़ की डगर

अभी तो सिलसिला, शुरू हुआ है हमारा।
कितने दिन हो गए, पहचान बनाते बनाते।।

एक तुम हो कि, सहमे सहमे से रहते हो।
कितने दिन हो गए, बातें बनाते बनाते।।

अब तो आंखें, आंखों से बातें करने लगी है।
कितने दिन हो गए, नज़रें मिलाते मिलाते।।

तुमको फुर्सत कहां हैं, कि कुछ बोलों कभी।
कितने दिन हो गए, सफ़र में आते आते।।

कहने को कह दी, दिल की बातें *सुरेश*।
कितने दिन हो गए, इकरार करते करते।

तुम्हारे बिना सफ़र, अधुरा अधुरा रहता है।
कितने दिन हो गए, इन्तजार करते करते।।

स्वरचित एवं मौलिक रचना 
✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

No comments:

Post a Comment

सांवली बावली सी लड़की...........!!!!

हैं एक सांवली-बावली सी लड़की,  जो मेरे साथ सफ़र करती है  कोन हूं, कैसा हूं, मालूम नहीं, फिर भी ना कोई सवाल करती है। सोते-जागते, ...