अभी तो सिलसिला, शुरू हुआ है हमारा।
कितने दिन हो गए, पहचान बनाते बनाते।।
एक तुम हो कि, सहमे सहमे से रहते हो।
कितने दिन हो गए, बातें बनाते बनाते।।
अब तो आंखें, आंखों से बातें करने लगी है।
कितने दिन हो गए, नज़रें मिलाते मिलाते।।
तुमको फुर्सत कहां हैं, कि कुछ बोलों कभी।
कितने दिन हो गए, सफ़र में आते आते।।
कहने को कह दी, दिल की बातें *सुरेश*।
कितने दिन हो गए, इकरार करते करते।
तुम्हारे बिना सफ़र, अधुरा अधुरा रहता है।
कितने दिन हो गए, इन्तजार करते करते।।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
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