एक बुझा हुआ चिराग रोशन क्या हुआ ।
अंधेरों ने उत्सव मनाना शुरू कर दिया।।
हम ओर तुम तो कल तक अजनबी थे।
एक दूजे को समझना शुरू कर दिया।।
सफ़र में बस बातें ही तो करते हैं हम।
लोगों ने मन्नतें करना शुरू कर दिया।।
ना वो कह पाती, ना ही मैं कह पाया।
मगर रिश्तों ने बढ़ाना शुरू कर दिया।।
हाथों की लकीरों का तो मालूम नहीं।
कुंडलियों का मिलाना शुरू कर दिया।
थामे रखना है एक दूजे का हाथ 'सुरेश'
नए सफ़र पर चलना शुरू कर दिया।।
*✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी*
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