घर के सामने।
पहली ही नज़र में दिल में उतर गई वो लड़की।
वो रहती भी है तो मेरे पास वाले घर के सामने।।
अक्सर गुजरती है देखकर मुझे बैठा बरामदे में।
कल उसकी पाजेब भी खुली मेरे घर के सामने।।
मैं अक्सर नजरें चुराकर देख लेता उसको मगर।
आज सहेलियों संग बैठी रही खुद के घर के सामने।।
यूं तो अभी तक एक भी मुलाकात नहीं हुई हमारी।
कल एक ही रिक्शे में बैठे अपने अपने घर के सामने।।
कहना तो चाह रहे हम दोनों अपने मन की बातें।
मगर हम आज फिर रुक गए अपने घर के सामने।।
✍️©️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
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