Saturday, April 10, 2021

#समय-चक्र


कुछ बातें हैं जो अब किसी से कहता नहीं।
दिखाकर हंसता चैहरा खुद को मना लेता हूं।।

परिवार में पापा, मां, बिवी ओर बच्चें भी हैं।
पता न चले उनको एक दो रोटी खा लेता हूं।।

बड़ी मुसीबतों से गुजर रहा हूं आजकल।
कोई हंसे न मैं अपनी बातें दबा लेता हूं।।

मदद भी मांगता हूं इस मुश्किल घड़ी में ।
जो करे, ना करें मैं दुआएं मांग लेता हूं।।

कुछ लोग जो अभी हंस रहे हैं मुझ पर।
उनके लिए भी स्नेह बनाकर रख लेता हूं।

बुरा वक्त किसी को कहकर नहीं आता।
मैं हमेशा आम इंसान बनकर रह लेता हूं।।

✍️©️ सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

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