Tuesday, March 30, 2021

होली ~~ रंग-ए-इश्क़‌‌‌

होली ~ रंग-ए-इश्क़ 

बहुत दिनों बाद आज, हम फिर मुलाकात कर रहें।
एक नज़र मैंने ओर एक नज़र तुमने मिलाकर।।

देखने होली शहर की गलियों में निकल पड़े।
एक हाथ मैंने ओर एक हाथ तुमने थामकर।।

कुछ देर बैठें भी रहें, हम चाय के ठैले पर।
एक कप मैंने ओर एक कप तुमने थामकर।।

अल्फाज जो दफ़न थे, अभी तक जता दिए।
एक बात मैंने ओर एक बात तुमने बताकर।।

रात ढली गई थीं, हम भी घर की ओर चल दिए । 
एक कदम मैंने ओर एक कदम तुमने बढ़ाकर।।

प्रेम रंग में रंगकर, हमने भी मना ली होली।
एक रंग तुमने ओर एक रंग मैंने डालकर।।

✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

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