Tuesday, March 16, 2021

उम्मीद........।


उम्मीद..........!

हां अब तो उम्मीद ही बचाकर रखीं हैं मैंने।
सिवाय इसके मैं ओर क्या रख सकता हूं।।

टूटा नहीं हूं
हारा नहीं हूं
बस कुछ बातें हैं
कुछ एहसास हैं
जो थाम रहें हैं मुझको
उनकी बातें रख लेता हूं।

थोड़ा हंस लेता हूं
थोड़ा रो लेता हूं
कभी थोड़ा खाकर
कभी भुखा सो जाता हूं
कभी कुछ नहीं मिलता
कुछ आशाएं रख लेता हूं।

मेरे भी अपने हैं
छोटे से सपने हैं
बहुत ज्यादा की बातें नहीं
ना बहुत बड़े इरादे है
बस आसमान को छूने
अपने कदम चल देता हूं।

चलो अब रूक जाता 
अब कुछ नहीं कहता 
मगर दिल से कहता 
झूठ नहीं सच कहता 
आप ने बताई है बातें
ज़हन में रख लेता हूं।

हां अब तो उम्मीद ही बचाकर रखीं हैं मैंने।
सिवाय इसके मैं ओर क्या रख सकता हूं।।

✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

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