Wednesday, October 26, 2022

त्यौंहार ओर आपसी प्रेम.....!!💕💕

फेसबुक/वाट्स अप (सोशल मीडिया) मेसेज व फोन काल कर ओर एक दूसरे के घर पर जाकर जिस ख़ुशी, अपनेपन व सकारात्मक ऊर्जा के साथ दीपावली पर्व की बधाईयां एवं शुभकामनाओं का आदान प्रदान होता है। यह हम सभी के आपसी प्रेम का अनुपम उदाहरण है। त्यौहारों का होना हमारे जीवनचक्र का एक अहम हिस्सा है जो हमें हमारी संस्कृति ओर धर्म के प्रति मान सम्मान बनाए रखने एवं जोड़े रखतें है जिसे हम सब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को समर्पित करते हैं। त्यौहारों ने आपसी प्रेम और विश्वास को बनाए रखने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। क्यों कि वर्षभर हम अपने भागदौड़ भरी जिंदगी में इतने व्यस्त रहते हैं कि अपने रिश्तेदारों ओर दोस्तों के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं। मगर त्यौहारों ने उस प्रश्नों पर विराम लगाया है। जब हम इन त्योहारों को अपनों के बीच, आस पड़ोस के साथ या दोस्तों के साथ मनाते हैं तो हमारी सामाजिक ओर व्यावहारिक संरचना मजबूत होती हैं ओर आपसी प्रेम, अपनापन ओर विश्वास भी बढ़ता है। हमारे इस प्रेम और विश्वास के दीपक की बाती ऐसे ही हर पल जलती रहें। ओर हां ऐसे रिश्तों की डोर ओर दोस्तों की पकड़ कभी ढ़ीली मत होने देना उनके घर जाकर या उनके मेसेज व फोन काल का रिप्लाई अपनेपन की भावना के साथ जरूर देना। आवभगत या प्रतिउत्तर का भाव हमारे रिश्तों को एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। जो आपस में जोड़े रखने में एक पूल का काम करता है।

दीपावली पर्व की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं 
✍️©️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
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@everyone
#everyone 

Monday, October 17, 2022

स्त्रियां


स्त्रियां भी न जाने कब, 
रंग के किस रंग में रंग जाती हैं।
समर्पित होकर सफ़र में,
खुद ही खुद में ढ़ल जाती हैं।
पुष्पा से पुष्प, 
दिपिका से दीप,
अर्पणा से अर्पण,
साधना से साधक,
ज्योति से ज्योत,
पुजा से पूजन,
मोनिका से मोन,
चेतना से चेतन्य,
भावना से भाव,
न जाने कितने भावों को,
अपने भीतर ही भीतर
सृजन करती रहती है।
अपनी उर्जा से कर देती है
अपने घर, आंगन को रोशन।

स्वरचित एवं मौलिक 
✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

Friday, October 14, 2022

बातें सफ़र की..........!

एक बुझा हुआ चिराग रोशन क्या हुआ ।
अंधेरों ने उत्सव मनाना शुरू कर दिया।।

हम ओर तुम तो कल तक अजनबी थे।
एक दूजे को समझना शुरू कर दिया।।

सफ़र में बस बातें ही तो करते हैं हम।
लोगों ने मन्नतें करना शुरू कर दिया।।

ना वो कह पाती, ना ही मैं कह पाया।
मगर रिश्तों ने बढ़ाना शुरू कर दिया।।

हाथों की लकीरों का तो मालूम नहीं।
कुंडलियों का मिलाना शुरू कर दिया।

थामे रखना है एक दूजे का हाथ 'सुरेश'
नए सफ़र पर चलना शुरू कर दिया।।

*✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी*

Thursday, October 13, 2022

एक सफ़र ऐसा हो..........!

यूं तो मैं हर दिन सफ़र में रहता हूं।
मगर नादान दिल भी न जाने क्यों 
तुम्हारे साथ एक सफ़र चाहता हैं।
जिसकी न कोई मंज़िल हो 
बस सफ़र चलता रहें। 
मैं, तुम ओर ये अपना सफ़र।
बस की खिड़की वाली सीट हो, 
हाथों में एक दूजे का हाथ, 
कभी तुम्हारे कंधे पर मेरा सर,
कभी मेरे कंधे पर तुम्हारा सर,
करते रहे मीठी मीठी बातें 
संग लिए एक प्यारी मुस्कान।
इस दुनियादारी से दूर
सुकून भरें पल हो।
बस चाहता हूं 
मेरे संग तुम्हारा 
एक सफ़र ऐसा...........!!!

स्वरचित एवं मौलिक 
✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

सांवली बावली सी लड़की...........!!!!

हैं एक सांवली-बावली सी लड़की,  जो मेरे साथ सफ़र करती है  कोन हूं, कैसा हूं, मालूम नहीं, फिर भी ना कोई सवाल करती है। सोते-जागते, ...