Sunday, January 24, 2021

लोटकर मत आना............



कोई पास नहीं है ना कोई ख्वाब सजाएं है ।
अब खुद को अकेले रहना अच्छा लगता है।

सांझ ढले दहलीज पर कोई राह नहीं तकता।
अब देर से घर को लौटना अच्छा लगता है।

तुम कल भी नहीं थे पास, ना अब रहते हों।
अब दिवारो से बतियाना अच्छा लगता है।

बहुत दूर चले गए हो मेरी राह मत तकना।
अब सफ़र में अकेले चलना अच्छा लगता है।

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