कदम से कदम मिलाकर चलते हैं लोग।
आजकल कम से कम बोलते हैं लोग।।
बनावटी रिश्ते बनाकर भुल गए अपनों को।
आजकल अपनो से अपने ही दूर रहते लोग।।
जिंदगी एक सफ़र में चल रही सभी की।
सच कहूं एक दुजे से बहुत जलते हैं लोग।।
जरा संभलकर चलना अपने सफ़र में आप।
अपने ही अपनो की दीवार गिराते हैं लोग।।
✍️ सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
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