ये अकेलापन और तन्हा सफ़र है।
मेरे अपनो को मेरी कहां खबर है।
खुशनुमा देखकर मुझको हाल नहीं पुछते।
असल में वो मेरी भावनाओं को नहीं पढ़ते।
मैं भी अक्सर चुप रहता हूं।
बातें होती हैं तो कहता हूं।
खामोशियां ओढ़े रखता हूं।
गमों को छिपाकर रखता हूं।
ये अकेलापन और तन्हा सफ़र है।
मेरे अपनो को मेरी कहां खबर है।
✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
No comments:
Post a Comment