दो चार बातें करके हमने दोस्ती के नाते जोड़ दिए।
कल श्याम को मन्दिर में देख लिया हमको आते हुए।
आंखें बंद करके श्री जी की ओर हाथ जोड़ दिए।।
जुबां पर आकर अक्सर रुक जाती थी दिल की बातें।
रखकर कागज आज उसकी किताब के पन्ने मोड़ दिए।।
तुमसे बातें करना दिल को कितना अच्छा लगता है।
मैंने अपना हर दिन हर पल तुम्हारे साथ जोड़ दिए।।
हम जानते हैं तुम कह नहीं सकते हो अपने दिल की।
इसलिए आजकल हमने ज्यादा बतियाना छोड़ दिए।।
हर इश्क मुकम्मल हो इतना आसान नहीं सुरेश
मैंने तुम्हारी गली के चक्कर लगाना छोड़ दिए।।
स्वरचित मौलिक रचना
✒️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी
No comments:
Post a Comment