Sunday, January 31, 2021

वो अहसास.................।


वो अहसास नहीं करता है मेरे होने न होने का।
कैसे कह दूं वो अब भी मुझसे प्यार करता है।।

महसूस कर लेता तो नहीं करता नजर अंदाज।
कैसे कहूं दूं वो मेरा अब भी इन्तजार करता है।।

किसी चेहरे को पढ़ना इतना आसान भी नहीं है।
कैसे कह दूं वो अब भी मुझसे मुलाकात करता है।।

सीखाओ किसी के अहसास को महसूस करना।
फिर कह दूं वो बनकर धड़कन धड़कता रहता है।।

✍️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

प्रकाशित पुस्तक 
"अक्षरांग- मेरी भावनाओं की लिखावट"
के पन्नों से

Tuesday, January 26, 2021

जिंदगी एक सफर...........।


कदम से कदम मिलाकर चलते हैं लोग।
आजकल कम से कम बोलते हैं लोग।।

बनावटी रिश्ते बनाकर भुल गए अपनों को।
आजकल अपनो से अपने ही दूर रहते लोग।।

जिंदगी एक सफ़र में चल रही सभी की।
सच कहूं एक दुजे से बहुत जलते हैं लोग।।

जरा संभलकर चलना अपने सफ़र में आप।
अपने ही अपनो की दीवार गिराते हैं लोग।।

✍️ सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी

Sunday, January 24, 2021

लोटकर मत आना............



कोई पास नहीं है ना कोई ख्वाब सजाएं है ।
अब खुद को अकेले रहना अच्छा लगता है।

सांझ ढले दहलीज पर कोई राह नहीं तकता।
अब देर से घर को लौटना अच्छा लगता है।

तुम कल भी नहीं थे पास, ना अब रहते हों।
अब दिवारो से बतियाना अच्छा लगता है।

बहुत दूर चले गए हो मेरी राह मत तकना।
अब सफ़र में अकेले चलना अच्छा लगता है।

सांवली बावली सी लड़की...........!!!!

हैं एक सांवली-बावली सी लड़की,  जो मेरे साथ सफ़र करती है  कोन हूं, कैसा हूं, मालूम नहीं, फिर भी ना कोई सवाल करती है। सोते-जागते, ...