कर्मों का फ़ल,
कितना मिलता है।
कब मिलता है।
कहां मिलता है।
कैसे मिलता है।
इतना तो मालूम नहीं,
लेकिन इतना पता है।
जितना मिलता हैं।
जब मिलता है।
जहां मिलता है।
जैसे मिलता है।
बहुत खूब मिलता है।
बहुत अच्छा लगता हैं।
जो अन्तर्मन को
अलौकिक शक्ति की
अनुभूति व्यक्तिगत
रूप से महसूस करने
की शक्ति देता हैं।
उस क्षण अन्तर्मन
आत्म सम्मान के उस उत्सव
मे रम कर जिस सुकून को
प्राप्त करता हैं।
वह भाव अलौकिक शक्ति
के प्रति ओर अधिक
समर्पित हो जाता है।
फलस्वरूप जिंदगी के
इस रंगमंच पर कर्म करने
की भूमिका में स्वयं के
अभिनय, अदाकारी के
प्रति जिम्मेदारी ओर
बढ़ जाती है।
जो अपने आप में
आत्म ज्ञान, आत्म संतोष
प्राप्त करने का एक
सुखद अहसास हैं।
स्वरचित एवं मौलिक
*©️✒️सुरेश बुनकर बड़ीसादड़ी*